Oppenheimer(ओपनहायमर) एक मास्टरपीस, फ़िल्म समीक्षा

Oppenheimer(ओपनहायमर) एक मास्टरपीस, फ़िल्म समीक्षा के बारे मे इस ब्लॉग मे आप जानेंगे।

Oppenheimer(ओपनहायमर)
Oppenheimer(ओपनहायमर) एक मास्टरपीस, फ़िल्म समीक्षा

नमस्कार 🙏दोस्तों स्वागत है आपका मेरे ब्लॉग मे दोस्तों आज हम बात करंगे Oppenheimer(ओपनहायमर) एक मास्टरपीस, फ़िल्म समीक्षा के बारे मै इस ब्लॉग मे आपको 2023 की सबसे पॉपुलर हॉलीवुड फ़िल्म Oppenheimer  ओपनहायमर के बारे मे बताने वाला हु ये रियल मे एक मास्टरपीस ही है जैसा की ऊपर टाइटल मे बताया गया है आशा करता हू की आपको मेरा ये ब्लॉग पसंद आये तो आइये शुरू करते है ये फ़िल्म 2023 मे रिलीज की गयी है इसकी IMDb रेटिंग 8.6/10 है और Rotten tomatoes पर यह फिल्म 93% फ्रेश है ये फ़िल्म एक अमेरिकन प्रोमेथियस' नाम की एक किताब पर आधारित है. ये किताब जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर J. ROBERT OPPENHEIMER की बायोपिक है, जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर एक भौतिक विज्ञानी थे उन्होंने अमेरिका और जर्मनी के बीच हुए द्वितीय विश्वयुद्ध में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, वे इस विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका से साथ खड़े थे,उन्होंने अमेरिका आकर 'मैनहट्टन प्रोजेक्ट' नाम के मिशन का नेतृत्व किया था, जिसका उद्देश्य था जर्मनी को मात देने के लिए परमाणु बम बनाना और इन्हे ‘परमाणु बम’ के जनक के रूप में जाना जाता है फिल्म की कहानी की बात करें तो ये फ़िल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है, जो द्वितीय विश्व-युद्ध World War-2 के दौरान हुई थी।

इस फ़िल्म मे मुख्य पात्र Starcast 

J Robert Oppenheimer-Cillian Murphy, Katherine "Kitty" Oppenheimer.-Emily Blunt,Lewis Strauss-Robert Downey Jr,Matt damon-leslie Groves,Alden Ehrenreich- Senate Aide, Scott Grimes-Cousel,Jeson Clark-Roger Rob, Kurt Koehler-Thomus Morgen, Tony Goldwyn-Gorden Grey, John Gowans- Ward Evans,Macon Blair-Lioyd Garrison,James D'Arcy-Patrick Blackett और अन्य 

Storyline कहानी 

फिल्म अमेरिकी सेना के लिए ओपेनहाइमर की अगुवाई में ‘ट्रिनिटी’ कोड नाम से दुनिया के पहले परमाणु की कहानी को दर्शाती है फिल्म में परिक्षण के पहले और बाद में हुई घटनाओं को दिलचस्प तरीके से दर्शाया गया है फिल्म के ट्रेलर में भगवद गीता (Bhagavad-Gita) का एक श्लोक सुनने को मिला है जिसमे कि बताया जाता है जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर को साहित्य में दिलचस्पी थी और ये रुचि उन्हें भगवद गीता तक लेकर गई. वो इसे बिना अनुवाद किए पढ़ना चाहते थे और इसलिए ओपेनहाइमर ने संस्कृत सीखी, उन्होंने जब अपने बनाए परमाणु बम का पहला टेस्ट 1945 में किया था और इस तब जाकर उन्हें इससे होने वाली तबाही का एहसास हुआ,इस टेस्ट का अंजाम देखकर ओपेनहाइमर को भगवद गीता का एक श्लोक याद आ गाया था. उन्होंने कहा 'मैं मृत्यु बन गया हूं' ये बात महाभारत युद्ध के दौरान कृष्ण भगवान ने कही थी. ओपेनहाइमर ने जो परमाणु बम बनाए थेवो 6 और 9 अगस्त 1945 को हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए, और इतिहास की सबसे बड़ी तबाही का कारण बने थे, इस तबाही को देखने के बाद ओपेनहाइमर का दिल दहल गया और उन्हें बहुत पछतावा हुआ,इस फिल्म में एक सीक्वेंस सीन है, जहां ओपनहाइमर एक जन-समूह को संबोधित करने जा रहे हैं,वहां उन्हें एटम बम बनाने के लिए शाबाशी दी जाने वाली है. स्टेज तक पहुंचने में उस आदमी के पांव कांपते हैं. जब वो वहां पहुंचते हैं, तो उन्हें वहां खड़े लोगों की शक्लें उधड़ती हुई नज़र आती हैं, रोते-बिलखते लोग नज़र आने लगते हैं. उन्हें ऐसा लगता है कि उनका पांव उस मलबे में फंसा है, जो उनके बनाए बम की देन है ऐसा ही एक और सीन है, जब सरकारी कमेटी ओपनहाइमर पर सोवियत संघ का जासूस होने की बात कहती है, उन पर इस तरह के आरोप इसलिए लगते हैं क्योंकि ओपनहाइमर की पूर्व प्रेमिका जीन टैटलॉक कट्टर कम्युनिस्ट थीं, जब ओपनहाइमर से पूछा जाता है कि वो जीन से आखिरी बार कब मिले थे, तब वो बताते हैं कि ये पुरानी बात है, वो ये भी बताते हैं जीन से उनकी आखिरी बातचीत किस बारे में थी. इस सीन में ज्यूरी/कमिटी के सामने ओपनहाइमर का किरदार नग्न बैठा नज़र आता है,ठीक वैसे ही, जैसे वो सालों पहले जीन से बात करते वक्त बैठा था. ये चीज़ें आपके फिल्म देखने के एक्सपीरियंस को समृद्ध बनाती हैं।
क्रिस्टोफर नोलन (Christopher Nolan) ने ही इस फिल्म का निर्देशन किया है और हर-कोई उनके डायरेक्शन की तारीफ कर रहा है क्रिस्टोफर नोलन की फ़िल्में चाहे कितनी भी घुमावदार क्यों न हो लेकिन कहानी के मूल में ‘प्यार’ और ‘पछतावा’ की भावना को अपने अंदाज में दिखाने के लिए मशहूर है।Oppenheimerओपनहाइमर' की रिलीज़ से पहले कहा जा रहा था कि जब न्यूक्लीयर बम की टेस्टिंग वाला सीक्वेंस आएगा, तो थिएटर की आवाज़ बाहर गूंज जाएगी,मगर ऐसा नहीं होता वो सीन सिर्फ आपको विज़ुअल तौर पर दिखाया जाता है. उसकी आवाज़ बाद में आती है. ये छोटी-छोटी चीज़ें हैं, जो तकनीकी तौर पर 'ओपनहाइमर' को आला दर्जे की फिल्म बनाती हैं. इंट्रेस्टिंग बात ये कि फिल्म में नोलन ने एक भी CGI या VFX सीन का इस्तेमाल नहीं किया है. सबकुछ असल में शूट किया गया है. अपने इसी स्टाइल को थोड़ा और इम्प्रोवाइज करते हुए उन्होंने ओपेनहाइमर को एक मास्टरपीस की तरह बनाया है। ओपेनहाइमर एक इंसान के मोहभंग पर बनी ऐसी फिल्म है जो हमेशा याद रखी जाएगी। इस फिल्म में दिखाया गया है कि एक इंसान की सबसे बड़ी खोज कैसे उसके विनाश का सबसे बड़ा कारण बन जाता है, ओपेनहाइमर बहुत बड़े वैज्ञानिक थे, लेकिन वो दुनिया के तौर-तरीकों से बेहद अनभिज्ञ थे। ओपेनहाइमर ने अपने मन की बात हमेशा सामने रखी। सब पर भरोसा किया, जिसकी उन्हें कीमत चुकानी पड़ी।
एक इंसान जिसे अपने अविष्कार पर बहुत गर्व था, अब वो कभी दुनिया से आंख नहीं मिला पाएगा। इस फिल्म में परमाणु बम बनाना और उसका परीक्षण सिर्फ इस फिल्म का एक हिस्‍सा है, जबकि ये फिल्म बड़े पैमाने पर इस बम को बनाने वाले की मानसिकता का अध्ययन है। फिल्म की कहानी इस बात पर जोर देती है कि कैसे ओपेनहाइमर की महत्वाकांक्षा और भौतिक विज्ञान के प्रति उनके प्रेम ने उन्हें विनाश और नैतिक संकोच की भावना से भर दिया। क्रिस्‍टोफर नोलन ने बेहतरीन ढंग से ओपेनहाइमर के दिल को उनके दिमाग के विरुद्ध खड़ा किया है। दिल और दिमाग के बीच इस युद्ध को दिखाने में डायरेक्‍टर ने बड़ी कुशलता से सफलता हासिल की है,जब आप ये फ़िल्म देखंगे तो आपके मन कि ये सारी बातें क्लियर हो जाएंगी मेरा तो यही सुझाव है आपलोग इसे जरूर देखे और एन्जॉय करें।

निष्कर्ष 

ओपेनहाइमर Oppenheimer एक ऐसी फिल्‍म है, जो आपको भीतर तक झकझोर देती है, ओपेनहाइमर Oppenheimer क्रिस्‍टोफर नोलन की एक मास्‍टरपीस तो है ही इसके अलावा यह एक ऐसी फिल्‍म है जो लंबे समय तक आपके जेहन में बसी रहेगी क्रिस्टोफर नोलन की फिल्में सबके लिए नहीं होती. उनकी फिल्मों की एक टार्गेट ऑडियंस होती है,एंटरटेनमेंट के लेवल पर आप इस फिल्म को थोड़ा कम नंबर दे सकते हैं, मगर ये एक मजबूत फिल्म है. जिसे शायद नोलन के सबसे जबरदस्त कामों में गिना जाएगा 'ओपनहाइमर' एक असाधारण फिल्म है. ऐसा कुछ शायद आपने पहले नहीं देखा होगा।इस फिल्म में फासीवाद से लड़ने और लोगों की जान बचाने की एक इंसान की इच्छा, कैसे मानव जीवन के विनाश का सबसे बड़ा कारण बन गई। क‍िल‍ियन मर्फी से बेहतर शायद ही कोई ओपेनहाइमर का किरदार निभा सकता था तो दोस्तों यह था हमारा रिव्यू इस फिल्म के बारे में तो कैसा लगा आपको ही ब्लॉक उम्मीदें है पसंद आया होगा कॉमेंट्स में अपनी प्रतिक्रिया जरुर दें ऐसे ही मजेदार दिलचस्प जानकारियों के लिए ब्लॉग के साथ बने रहे मिलते है फिर ऐसे ही एक और मजेदार ब्लॉग के साथ तबतक के लिए धन्यवाद। 🙏
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